भारत की हमारे नैया,
मँझधार पडी है भैया !
आजा रे! आजा कन्हैया !
तुही है पार करैया ! || टेक ||
दूध - दही की नदियाँ बहती,
मेरे जमाने माँही ।
घर- घर थी सादगी ,
पाप - ताप कछु नाही ॥
अब तो कटती है गैया
घुमते है शराबी भैया
गुण्डो की चलती आँधी
मिलता नही कोइ खिवैयाँ || १ ||
चोरी - जारी , रिश्वतखोरी ,
घर घर नाच रही है
सज्जनता को कोइ न पूछे ,
जीना मुस्किलही है ।
हाँजी से हाँजी लगाओ ,
तब तो नेता बन जाओ ।
कुछ धरम - करम मत बोलो
बोलोतो सिनेमा - याँ ॥ २ ॥
सिफारिशों से भरती होते ,
होते पास उन्होंसे ।
काम नहीं करना चाहते हैं ,
रहते राज - भरोसे ॥
तू एक दफे तो आजा
तुकड्या कहे देख तमाशा
ले चक्र सुदर्शन कर में ,
जो तेरा रहा रवैया ॥ ३ ॥
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